जादुई पतीला – पंचतंत्र की कहानी (Magical Pot Story in Hindi)

Panchatantra Story for Kids: मूर्खता और लालच का अंत बुरा... पढ़िए जादुई पतीले की कहानी

जादुई पतीले की कहानी:

Jadui patile ki kahani
पंचतंत्र की कहानी – जादुई पतीला

एक गांव में में किशन नाम का एक किसान रहता था, वह बहुत ही गरीब था। उसका गुज़र-बसर बड़ी मुश्किल से होता। अपना गुज़ारा चलाने के लिए किशन गाँव के ही एक ज़मींदार सोनू के खेत पर काम करता और अपने घरवालों का भरण पोषण करता।

पहले किशन के पास भी अपने कई भी खेत थे, लेकिन अपने बीमार पिता के इलाज़ करवाने के लिए उसे अपने खेत सोनू ज़मीदार को बेचने पड़े और सोनू के यहाँ ही काम करना शुरू कर दिया। किशन को मज़दूरी में मिलने वाले पैसों से अपने पिता का इलाज कराना और घर के सारे खर्चे चलाने में बहुत मुश्किल होती थी।

वह अपने घर की स्थिति को बेहतर करने के लिए हर दिन कोई उपाय सोचता रहता। आज भी जब वह खेत में काम करने जा रहा था तो घर की स्थिति को बेहतर करने की ही सोच रहा था। ऐसे ही सोचते-सोचते वह ज़मींदार के खेत पर काम कर रहा था कि अचानक खुदाई करते समय उसकी कुदाल किसी चीज़ से टकराई और तेज़ आवाज़ हुई।

किशन के मन में हुआ कि खेत में जरुर कुछ हैं, और उसने आराम से उस हिस्से को अगल बगल से खोदना शुरू कर दिया, थोडा और खोदने पर उसने देखा एक बड़ा-सा पतीला है, वह बहुत खुश हुआ। लेकिन, जब पतीले को बहार निकाला, तो खाली पतीला देखकर किशन दुखी हो गया।

उसने मन ही मन सोचा कि, अगर इसमें थोड़े बहुत भी ज़ेवरात होते, तो मेरे घर की हालत थोड़ी सुधर जाती। फिर किशन ने पतीले को एक किनारे रख कर सोचा कि चलो, अब खाना ही खा लेता हूँ। खाना खाने के लिए किशन ने अपने हाथ से कुदाल को उस पतीले में ही फेंक दिया और हाथ-मुँह धोकर खाना खाने चला गया। खाना खा कर जब किशन वापस खेत में अपनी कुदाल उठाने के लिए पतीले के पास पहुँचा।

पतीले के पास पहुँचते ही किशन के हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। क्यूंकि, उस पतीले के अंदर एक नहीं, बल्कि बहुत सारे कुदाल थे। उसे कुछ समझ नहीं आया। तभी उसने अपने आस-पास देखा और पास रखी छोटी सी टोकरी को भी उस पतीले में डाल दिया। तभी किशन ने देखा कि पतीले के अंदर जाते ही बहुत सारी टोकरियाँ हो गईं। यह सब देखकर किशन बहुत ज्यादा खुश हो गया और उस जादुई पतीले को अपने साथ घर लेकर चला आया।

अब वह हर दिन उस बर्तन में अपने कुछ सामान डालता और जब वह बहुत सारे हो जाते, तब बाज़ार जाकर उन्हें बेच आता। ऐसा रोज़ करने से किशन के घर की हालत सुधरने लगी। ऐसा कर उसने बहुत सारे पैसे कमाए और अपने पिता का इलाज भी करवा लिया। जब घर की स्थिति ठीक हो गयी तो एक दिन किशन ने सोने के कुछ गहने खरीदें और उन्हें भी पतीले में डाल दिया। वह गहने भी जब बहुत सारे बन गए, तो वह उन्हें बेच देता। इस तरह किशन धीरे-धीरे अमीर होने लगा और फ़िर उसने ज़मींदार के यहाँ काम करना भी छोड़ दिया।

किशन को अचानक से अमीर होते देख सोनू ज़मींदार को किशन पर शक़ हो गया। वह इसका पता लगाने के लिए सीधे किशन के घर पहुँच गया। वहाँ जाकर पता करने पर सोनू जमींदार को उस जादुई पतीले के बारे में पता चल गया। उसने किशन को धमकाते हुए पूछा, “तुम्हे यह पतीला कब मिला या किसी के घर से चुराया?”

डर कर किशन ने बोला, “यह पतीला मुझे खेत में काम करते हुए खुदाई के समय मिला था। मैंने किसी के घर चोरी नहीं की है।” किशन के खुदाई वाली बात सुनते ही ज़मींदार ने कहा, “जब यह पतीला तुम्हें मेरे खेत से मिला, तो यह मेरा हुआ यानि तुमने मेरे खेत से चोरी की, अब मैं इसे लेकर जा रहा हूँ।” किशन ने जादुई पतीला ना ले जाने के लिए ज़मीदार से बहुत मिन्नते कीं, लेकिन ज़मींदार ने उसकी एक नहीं सुनी। वह ज़बरदस्ती अपने साथ उस जादुई पतीले को लेकर चला गया।

सोनू ज़मींदार ने भी किशन की ही तरह उसमें अपने कीमती सामान डालकर उन्हें बढ़ाना शुरू कर किया। एक दिन ज़मींदार ने अपने घर में मौजूद सारे सोने- चाँदी के गहने उस पतीले में डाल दिए और रातों-रात बहुत अमीर हो गया। इस तरह अचानक से ज़मींदार के अमीर होने की खबर जब उस नगर के राजा तक पहुँची, तो उसने अपने सैनिकों को भेज कर ज़मीदार को राजदरबार में बुलवाया।

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जब राजा ने जमींदार से उसके रातोरात अमीर होने के बारे में पूछा, तो राजा को भी जादुई पतीले की जानकारी मिली। फिर क्या था, राजा ने तुरंत ज़मींदार के साथ अपने लोगों को भेजकर वो पतीला राजमहल मंगवा लिया और ज़मीदार को भगा दिया।

जैसे ही, सैनिक राजमहल में उस जादुई पतीले को लेकर पहुंचे, राजा ने उस पतीले को देखकर सोचा कि देखने में तो ये पतीला बड़ा साधारण लगता है, पतीले को जाँचने के लिए राजा ने अपने आसपास मौजूद सामान को उसमें डालना शुरू किया। सभी सामान को बढ़ता देखकर राजा भी दंग रह गया।

राजा का लोभ इतना बढ़ गया कि, राजा खुद उस पतीले के अंदर चला गया। राजा के अन्दर जाते ही देखते-ही-देखते उस पतीले से बहुत सारे राजा निकल आए। अब पतीले से निकला हर राजा बोलता, “मैं असली राजा हूँ, तुम्हें तो इस जादुई पतीले ने बनाया है।”

अंत में सभी राजा आपस में लड़ने लगे और लड़कर मर गए। लड़ाई के दौरान वो जादुई पतीला भी टूट गया। जादुई पतीले के कारण राजमहल में हुई इस भयानक लड़ाई के बारे में नगर में सबको पता चल गया।

इस बात की जानकारी जब किशन और सोनू ज़मींदार को हुई, तो उन दोनो ने सोचा, अच्छा हुआ कि हमने उस जादुई पतीले का इस्तेमाल सही तरीक़े से किया। उस मुर्ख राजा ने अपनी मूर्खता के कारण अपनी जान ही खो दी।

सीख: इस कहानी से हम सभी को दो सीख मिलती हैं। पहली कि मूर्खता का अंत बुरा ही होता है, किसी मूर्ख के पास अच्छी चीज़ कभी नहीं टिकती क्योंकि वो उसका सही इस्तेमाल करने की समझ ही नहीं रखता। दूसरी यह कि हर सामान का इस्तेमाल संभलकर करना चाहिए, ज्यादा लालच नुकसान भी पंहुचा सकती है।


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