चतुर बंदर और लालची बिल्ली की कहानी:
एक जंगल के नजदीक गाँव था, जहां काली और भूरे रंग की दो बिल्लियां रहती थी, दोनों बिल्लियां हमेशा आपस में मिलजुल कर रहा करती और एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ती थीं। सभी जानवर उन बिल्लियों की दोस्ती और आपसी प्यार के लिए उनकी तारीफें किया करते थे।
एक दिन काली बिल्ली खाने की तलाश में जंगल में गई हुई थी, तो भूरी बिल्ली को अकेले मन नहीं लग रहा था। तो भूरी बिल्ली ने सोचा कि काली बिल्ली शाम को आएगी, तो क्यों न तब-तक वह पास के गाँव में घुम कर आ जाए। और, भूरी बिल्ली गाँव में घुमने के लिए निकल पड़ी।
गाँव घूमने से भूरी बिल्ली को ज़ोर की भूख लग गयी और वह सभी घरों में जा-जाकर कुछ खाने के लिए खोजने लगी। अचानक उसे एक घर पर एक रोटी मिला। उसने उस रोटी को उठाया और तेज़ी से जंगल की ओर भाग गई। जंगल में वापस आने पर उसके मन में पूरी रोटी अकेले खाने का लालच आ गया। लेकिन, जैसे ही वह रोटी के टुकड़े को खाने वाली थी, तभी अचानक काली बिल्ली भी वहाँ आ गई। भूरी बिल्ली ने जब काली बिल्ली काे देखा तो घबरा गई।
काली बिल्ली ने भूरी बिल्ली के हाथ में रोटी देखी, तो उससे पूछने लगी कि भूरी, “हमें जो कुछ मिलता हैं, हम आपस में उसे बांटकर खाते हैं? और तुम रोज़ तो मेरे ही साथ खाना खाती थी? तो क्या आज तुम मुझे इस रोटी में से नहीं दोगी?
इस सवाल पर भूरी बिल्ली ने हड़बड़ाते हुए कहा, “अरे नहीं..बहन, ऐसी बात नही हैं, मैं तो रोटी को आधा-आधा कर रही थी, ताकि हम दोनों रोटी को खा सके।
भूरी बिल्ली ने जैसे ही रोटी के टुकड़े किए, काली बिल्ली चीख पड़ी और बोली, “कि मेरे हिस्से में कम रोटी आई है। चूंकि, रोटी को भूरी बिल्ली लेकर आई थी, तो वह थोडा ज्यादा खाना चाहती थी। फिर भी वो बोली मैंने रोटी को दो बराबर टुकड़ों में ही बाँटा है।
इसी बात को लेकर दोनों बिल्लियों में झगड़ा हो गया। उसी समय यह सब पेड़ पर बैठा एक बंदर देख रहा था, उसने सोचा क्यों ना इनके लालच का फ़ायेदा उठाकर पूरी रोटी ख़ुद खा लूँ। उसने बड़े प्यार से दोनों से कहा, कि अगर तुम दोनों बोलो तो, मैं दोनों के बीच में बराबर रोटी बाँट दूंगा।
दोनों बिल्लियां इसके लिए तैयार हो गई और दोनों ने बंदर को रोटी के दोनों टुकड़े दे दिया। बंदर यह बोलकर, कि वह रोटी को दूसरे टुकड़े के बराबर कर रहा हैं, उस तरफ की थोड़ी-सी रोटी तोड़ कर खा लेता, जिस तरफ़ के टुकड़े में ज्यादा रोटी होती। बंदर जानबूझकर रोटी का टुकड़ा ज्यादा तोड़ कर खा लेता, जिससे दूसरी तरफ की रोटी दिखने में ज्यादा बड़ी लगती।
ऐसा करते-करते, रोटी के दोनों टुकड़े बहुत ही छोटे हो गए। दोनों बिल्लियों ने जब दोनों टुकड़ों को देखा, तो उन्हें अपनी गलती समझ आ गयी। उन्होंने बंदर से बोला, “हमें हमारी रोटी के टुकड़े वापस कर दो। हम बची हुई रोटी को आपस में बाँटकर खा लेंगे।
यह सुनकर बंदर बोला, “अरे वाह! तुम दोनों तो बहुत चालाक हो। मुझसे इतनी मेहनत करवाया, और क्या अब उसका मुल्य नहीं चुकाओगी? ऐसा बाेलकर बंदर ने दोनों बची हुई रोटी के टुकड़ों को खाकर चलाता बना।
दोनों बिल्लियां एक दूसरे का मुंह तांकती रह गईं, उन्हें अब अपनी गलती और लालच पर पछतावा होने लगा था।
यह भी पढ़ें:-
सीख: हमें कभी भी लालच में नहीं पड़ना चाहिए, लालच के कारण हम अपना ही नुकसान कर लेते हैं।
अगर आपको यह नैतिक शिक्षाप्रद कहानी अच्छी लगी तो, आप इस Instructive Story for Kids को अपने परिवार-जनों के साथ ज़रूर शेयर करें।