लोमड़ी और सारस की कहानी – जैसे को तैसा (Tit for tat, Hindi Moral Story)

लोमड़ी और सारस की कहानी: जैसे को तैसा! पढ़िए पंचतंत्र की प्रेणादायक कहानियाँ.. Lomdi aur Saras ki kahani in Hindi

सारस और लोमड़ी की कहानी:

lomadi aur saras ki khani
नैतिक कहानीलोमड़ी और सारस

किसी जंगल में एक लोमड़ी और एक सारस रहते थे। इन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थीं। सारस रोजाना अपने दोस्त लोमड़ी को तालाब से मछली पकड़ कर खाने के लिए देता, इस तरह इनकी दोस्ती बहुत गहरी होती चली गई।

सारस बहुत सीधा साधा था, लेकिन लोमड़ी बहुत शैतान और चालाक थी। एक दिन लोमड़ी ने सोचा कि क्यों न अपने दोस्त सारस को खाने पर बुला लूँ। उसने अपने दोस्त के लिए सूप तैयार किया और सारस को खाने को बुलाया।

सारस जब अपने दोस्त लोमड़ी के घर पहुंचा, तो लोमड़ी ने मजाक करते हुए, जान बूझकर सारस को सूप एक थाली में परोसा। लोमड़ी को पता था, कि सारस थाली में से सूप को नहीं पी सकता।

बेचारे सारस ने अपनी लंबी चोंच से सूप पीने की बहुत कोशिश की पर वह सिर्फ अपनी चोंच ही भिंगो पाया। उसे सूप न पीता देख लोमड़ी मन ही मन अपनी ठिठोली पर बहुत खुश हुई।

और, सारस से पूछने लगी कि क्या बात है मित्र, क्या सूप पसंद नहीं आया? दूसरी तरफ लोमड़ी अपनी जीभ से चाट-चाट कर सारा सूप पिए जा रही थी।

सारस बोला नहीं मित्र, यह तो बहुत स्वादिष्ट है। सारस ने जब देखा कि सूप को थाली में परोसा और लोमड़ी जान बूझकर उससे सवाल कर रही है, तो वह सब समझ गया, लेकिन उसने वहाँ कुछ नहीं बोला। उस दिन बेचारा सारस अपमान सहने के साथ ही, भूखा अपने घर को लौट गया।

फ़िर, एक दिन मौका देखकर, सारस ने भी लोमड़ी को अपने यहां खाने पर बुलाया और लोमड़ी दूसरे ही दिन सारस के घर खाने पर पहुंच गई।

सारस ने भी खाने में सूप बनाया था और लोमड़ी के साथ ही दुसरे लंबी चोंच वाले अन्य पक्षियों को भी बुलाया। सारस ने सभी को सुराही में सूप परोसा। सुराही का मुंह इतना छोटा था, कि उसमें बस पतली चोंच ही अंदर जा सकती थी।

लोमड़ी, अन्य सभी पक्षियों को सूप पीते देखती और पूरा समय सुराही से सूप पीने की कोशिश करती रहीं। इसी बीच सारस ने लोमड़ी से पूछा, ‘क्या बात है मित्र सूप अच्छा नहीं लगा?’, लोमड़ी को अचानक अपने शब्द याद आ गए।

लोमड़ी को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई, लेकिन कुछ कह नहीं सकी और अपने घर को लौट गयी।

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सीख: हमें कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए, हम जैसा दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही हमारे साथ होता है।


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