Why Ganga Bath is Special On Mauni Amavasya (क्यों खास है मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान)

8 फ़रवरी यानी सोमवार को मौनी अमावस्या है। भगवान ब्रह्मा के स्वयंभू पुत्र ऋषि मनु ने आजीवन मौन रहकर तपस्या की थी। इसीलिए इस तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता। शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है।

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इस दिन त्रिवेणी स्थल (तीन नदियों का संगम) पर स्नान करने से तन की शुद्धि, मौन रहने से मन की शुद्धि और दान देने से धन की शुद्धि और वृद्धि होती है। इस दिन गंगा में स्नान करने से दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किया पाप), दैविक (ग्रहों गोचरों का दुर्योग) तीनों प्रकार के मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन स्वर्ग लोक के सारे देवी-देवता गंगा में वास करते हैं। जो पापों से मुक्ति देते हैं।

भूखे का पेट भरना है लाभकारी:

तंत्र शास्त्र में भी मौनी अमावस्या को विशेष तिथि माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए उपाय विशेष ही शुभ फल प्रदान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं।

गोलियां बनाते समय भगवान का नाम लेते रहें। इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है।

चीटी को खिलाएं मीठा आटा:

मौनी अमावस्या के दिन चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का क्षय होगा और पुण्य कर्म उदय होंगे। यही पुण्य कर्म आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक होंगे।

मौनी अमावस्या को शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। साथ ही दीए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय है।

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