If you want to be Successful then you should give up YourSelf:
सफल होना चाहते हैं तो पहले अपने अंहकार का त्याग करें: (Real Life Inspirational Hindi Story)
समर्थ रामदास स्वामी महाराष्ट्र के एक महान संत थे। वो छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरू भी थे। एक दिन शिवाजी और उनके गुरू महल में हो रहे निर्माण कार्य को देखने के लिए निकले। अचानक शिवाजी के मन में विचार आया और उन्होंने कहा, मैं महान राजा हूं और अपनी संपूर्ण प्रजा का बहुत अच्छे से ध्यान रखता हूं। समर्थ रामदास स्वामी ने उनके मन में आए विचारों को पढ़ लिया।
थोड़ी आगे जाने पर उन्हें एक गोल सी उभरी हुई चट्टान मिली, जिसके ऊपर निर्माण कार्य होने वाला था। उन्होंने शिवाजी के सैनिकों को आदेश दिया कि इसे दो भागों में तोड़ कर दिखाओ। जैसे ही सैनिकों ने चट्टान तोड़ने के लिए उस पर चोट की तो देखा उसके नीचे पानी भरा था और पानी में से एक मेंढ़क उछलते हुए बाहर निकल गया।
अब गुरु जी शिवाजी की तरफ मुड़े और बोले, तुम तो कह रहे थे कि तुम अपने राज्य की संपूर्ण प्रजा का ध्यान रखते हो? ये मेंढ़क कैसे रह गया? गुरु जी ने शिवाजी को समझाया, हम तो सिर्फ माध्यम हैं सबकुछ करने वाला तो वो ऊपर वाला है। इसलिए हमें कभी अंहकार नहीं करना चाहिए।
तब छत्रपति शिवाजी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने अंहकार का हमेशा के लिए त्याग कर दिया।