Story in Hindi – Har Parishthiti ko Samjhna – Motivational Stories
Hindi Story about Knowing the Truth
हमारे आसपास कई सारे ऐसे लोग होते हैं, जो किसी भी मामले में अपनी राय देने में देर नहीं लगाते हैं। समस्या चाहे बड़ी हो या छोटी, इनकी टिप्पणी बिना देर किए मिल जाती है। कई बार इन्हें सामने वाले की परिस्थिति का जरा भी अंदाजा नहीं होता है।
ऐसे में कई बार इनकी बातें दूसरों के दिल को दुखा जाती हैं। कई बार हमारी बोलने के तरीक़े की आदत की वजह से दूसरों को बड़ी परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।
ऐसे में हम सभी को यह समझना चाहिए कि किसी भी मामले पर अपनी टिप्पणी करने से पहले पूरे मामले की सही जानकारी कर लेना अच्छा होता है। ऐसा ही कुछ हमारी आज की कहानी में भी बताया जा रहा है।
मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे , तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। मास्टर जी ने पूछा, क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ?
राहुल : सर , अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है।
अमित : नहीं सर , राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत है इसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही।
और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करने लगे।
मास्टर जी ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा, एक मिनट तुम दोनों यहाँ मेरे पास आ जाओ। राहुल तुम डेस्क की बाईं और अमित तुम दाईं तरफ खड़े हो जाओ।
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इसके बाद मास्टर जी ने अपनी मेज की दराज से एक बड़ी सी गेंद निकाली और डेस्क के बीचों-बीच रख दी।
मास्टर जी : राहुल तुम बताओ, ये गेंद किस रंग की है।
राहुल : जी ये सफद रंग की है।
मास्टर जी : अमित तुम बताओ ये गेंद किस रंग की है ?
अमित : जी ये बिलकुल काली है।
दोनों ही अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंट थे की उनका जवाब सही है, और एक बार फिर वे गेंद के रंग को लेकर एक दुसरे से बहस करने लगे।
मास्टर जी ने उन्हें शांत कराते हुए कहा, ठहरो , अब तुम दोनों अपने अपने स्थान बदल लो और फिर बताओ की गेंद किस रंग की है?
दोनों ने ऐसा ही किया , पर इस बार उनके जवाब भी बदल चुके थे।
राहुल ने गेंद का रंग काला तो अमित ने सफ़ेद बताया।
अब मास्टर जी गंभीर होते हुए बोले, बच्चो, ये गेंद दो रंगो से बनी है। यह एक जगह से देखने पे काली और दूसरी जगह से देखने पर सफेद दिखती है। हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग–अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। ये जरूरी नहीं है की जिस तरह से आप किसी चीज को देखते हैं उसी तरह दूसरा भी उसे देखे।
इसलिए अगर कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो तो ये ना सोचें की सामने वाला बिलकुल गलत है बल्कि चीजों को उसके नज़रिये से देखने और उसे अपना नजरिया समझाने का प्रयास करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं।
अगर आप अपनी बात न रखते है तो उसका मतलब ये नहीं होता है, कि आप मूर्ख हैं या आपको बोलना नहीं आता है। बल्कि इसका मतलब यह होता है कि आप धैर्यवान हैं और पूरी बात समझे बिना टिप्पणी नहीं करते हैं।
इस तरह आप किसी विशेष परिस्थिति में खुद को मूर्ख बनने और मामले को और जटिल बनने से बचाने में सफल हो सकते हैं। विवाद में शामिल लोग जब एक दूसरे की स्थिति समझने का प्रयास करते हैं तो कई बार बातें बिना किसी मध्यस्तता के अपने आप सुलझ भी जाती हैं, क्योंकि बिना किसी परिस्थिति को पूरी तरह जाने बिना टिप्पणी करना कई बार हमें मूर्ख साबित कर देता है। इसलिए हमें खुद पर संयम रखना चाहिए और किसी विवाद में पड़ने से बचना चाहिए।