पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana in Hindi):
पश्चिमोत्तान-आसन सभी आसानों में आवश्यक आसन में से एक है। पश्चिमोत्तानासन, प्रभावशाली और अत्यंत लाभकारी आसन है। “पश्चिम” और “उत्तान” शब्दों के मेल से बना, पश्चिमोत्तानासन; पश्चिम यानी पश्चिम दिशा या शरीर का पिछला हिस्सा, और उत्तान मतलब खिचा हुआ।
पश्चिमोत्तानासन को करते समय इसका प्रभाव शरीर के पिछले भाग पर प़डता है। इस आसन से मेरूदंड लचीला बनता है। साथ ही, आपके जिगर, गुर्दे, अंडाशय, और गर्भाशय की कार्यक्षमता में सुधार लाता है।
पश्चिमोतासन (Paschimottasana) करने से पाचन अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म की असुविधा के लक्षणों से राहत देने में भी मदद करता है।
पश्चिमोत्तासन करने की विधि:
पश्चिमोत्तानासन आसन को हमें किस प्रकार से करना चाहिए आइये जानते हैं…
- सबसे पहले जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर इस आसन का अभ्यास करें।
- चटाई या दरी पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को फैला कर रखें।
- अब अपने शरीर को सीधा तान कर अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें ।
- अपने दोनों हाथों को अपने सिर की ओर ऊपर जमीन पर अच्छे से टिका दें।
- अब अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए एक ही झटके के साथ अपन कमर को भी ऊपर की और उठा लें।
- इसके बाद धीरे-धीरे करके अपने दोनों हाथों से अपने पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें। इस प्रकार करते हुए अपने हाथों और पैरों को बिल्कुल सीधा रखें।
- जब आप को इस आसन को लेट कर नहीं कर सकते या ऐसा करने में आप को परेशानी होती है तब आप इसे बैठकर भी कर सकते हो, इसको करते समय अपनी नाक को छूने की कोशिश करें।
- इस आसन की एक क्रिया पूरी होने के बाद कुछ सेंकड के लिए आराम करें और इसे सिर्फ तीन बार हो दोहराएं।
- जब आप इस आसन को कर रहे होते हैं, तब आपको समान्य साँस लेनी और छोडनी होती है।
यह भी पढ़ें: पूर्वोत्तानासन करने के लाभ (Benefits of Poorvottanasana)
पश्चिमोत्तासन योग के लाभ:
- पश्चिमोत्तासन, आसन के द्वारा हमारे शरीर की वायु सही ढंग से काम करती है।
- इसको करने से हमारा क्रोध शांत हो जाता है।
- पश्चिमोत्तासन, आसन को करने से हमारे शरीर में खून का बहाव सही तरीके से होना शुरु हो जाता, जिससे हमारे शरीर की खून संबंधी सारी कमज़ोरी दूर हो जाती है।
- इस आसन के करने से नसों में जमे कोलेस्ट्रोल को हटाने में मदद मिलती है।
- इस आसन के द्वारा हमारी लंबाई भी बढ़ती है।
- पश्चिमोत्तासन, आसन को करने से हमारे पेट की चर्बी भी कम होती है।
- इस आसन को करने से कब्ज रोग दूर होता है।
- यह आसन रीढ़ की हड्डी को सुदृढ़ करता है, और आपके नितम्बों में जमा अनावश्यक चर्बी को कम करता हैं।
- नियमित रूप से पश्चिमोत्तासन, करने से सिर दर्द, अनिंद्रा, पीठ दर्द में आराम भी मिलता है।
पश्चिमोत्तासन की सावधानियां – कब ना करें:
जब भी आप की कमर में दर्द हो रहा हो या रीढ़ की हड्डी में तकलीफ हो, तब आपको इस आसन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को पश्चिमोत्तासन, आसन नहीं करना चाहिए। पेट में अल्सर के रोगी इसे न करें। ज्यादा बढ़े हुए पेट के कारण यदि पैर के अँगूठे को छूने में कठिनाई हो, तो अँगूठे को ज़बरदस्ती छूने की कोशिश न करें।
पश्चिमोत्तानासन करने का सही समय:
विशेष लाभ के लिए आप इस आसन को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में शौच आदि से निवृत होने के पश्चात कर सकते है। आप पश्चिमोत्तानासन की पूरी प्रक्रिया को तीन बार अवश्य करें। एक बार पश्चिमोत्तानासन की प्रक्रिया को दोहराने के बाद कम-से-कम 10 सेकंड का समयांतराल रखें।