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Reading: षट्तिला एकादशी का व्रत, महत्‍व और लाभ – ShatTila Ekadashi Vrat
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Religion > Hinduism > षट्तिला एकादशी का व्रत, महत्‍व और लाभ – ShatTila Ekadashi Vrat
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षट्तिला एकादशी का व्रत, महत्‍व और लाभ – ShatTila Ekadashi Vrat

Sunita
Last updated: February 26, 2020 9:54 pm
Sunita
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5 Min Read
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एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। माघ माह सनातन धर्म में नरक से मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाला माना जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष को षट्तिला एकादशी का व्रत किया जाता है।

Contents
षट्तिला एकादशी व्रत, क्‍या है महत्‍व और लाभषट्तिला एकादशी व्रत महत्वषट्तिला एकादशी और तिलषटतिला एकादशी व्रत कथा:षटतिला एकादशी व्रत के लाभ:

इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 20 जनवरी 2020 को होगा और 21 जनवरी को दान-दक्षिणा के बाद व्रत खोला जाएगा। यह एकादशी इस बात को बताती है कि धन आदि के मुकाबले अन्नदान सबसे बड़ा दान है।

षट्तिला एकादशी व्रत, क्‍या है महत्‍व और लाभ

मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने दालभ्य ऋषि को नरक से मुक्ति पाने के उपाय के विषय में बताते हुए कहा – षटतिला एकादशी का व्रत करने वालों को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्‍त होती है। आइए जानते हैं षट्तिला एकादशी के बारे में।

षट्तिला एकादशी व्रत महत्व

इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति का वास होता है। मनुष्य को भौतिक सुख तो प्राप्त होता ही है, मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस दिन की गई पूजा का विशेष महत्व है।

षटतिला एकादशी के दिन उपवास करने, दान और साथ ही तर्पण करते हैं, उन्‍हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों का अंत होता है। पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उससे अधिक फल एक मात्र षटतिला एकादशी का व्रत करने से मिलता है।

Vishnu Shat Tila Ekadashi
Vishnu Shat Tila Ekadashi

इसे भी पढ़े:-  एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित।

षट्तिला एकादशी और तिल

माघ मास के कृष्णपक्ष की षट्तिला एकादशी व्रत में तिल का विशेष महत्व माना गया है, इस दिन तिल के 6 तरह का उपयोग करने से पुराणों में इसे षटतिला नाम दिया गया है।

तिलस्नायी तिलोद्वर्ती तिलहोमी तिलोदकी।
तिलदाता च भोक्ता च षट्तिला पापनाशिनी॥

अर्थात इस दिन तिल का इस्तेमाल स्नान करने, उबटन लगाने और होम करने में करना चाहिए, साथ ही तिल मिश्रित जल पीना चाहिए, तिल दान करना चाहिए और तिल का भोजन करना चाहिए। इससे पापों का नाश होता है।

तिल से भरा हुआ बर्तन दान करना बेहद शुभ माना जाता है। तिलों के बोने पर उनसे जितनी शाखाएं पैदा होंगी, उतने हजार बरसों तक दान करने वाला स्वर्ग में निवास करता है।

षटतिला एकादशी व्रत कथा:

षटतिला एकादशी के बारे में एक कथा प्रचलित है- एक ब्राह्मणी श्री हरि में बड़ी भक्ति रखती थी एकादशी व्रत करती। परंतु उसने कभी ब्राह्मण एवं देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं किया था। एक दिन भिक्षा लेने कपाली का रूप धारण कर भगवान पहुंचे और भिक्षा की याचना की। गुस्से में ब्राह्मणी ने मिट्टी का एक बड़ा ढेला दिया। कुछ समय बाद ब्राह्मणी देह त्याग कर वैकुंठ पहुंची।

लेकिन उसे वहां मिट्टी के बने मनोरम मकान ही मिले, अन्न नहीं। दुखी हो उसने श्री हरि से इसका कारण पूछा तो पता लगा कि ऐसा अन्नदान नहीं करने की वजह से है और निवारण हेतु उसे षट्तिला एकादशी का व्रत करना चाहिए।

ब्राह्मणी ने व्रत किया, तब उसका मकान अन्न से भर गया। इसलिए तिल और अन्नदान बहुत जरूरी है। नारियल अथवा बिजौरे के फल से विधि-विधान से पूजा कर श्री हरि को अर्घ्य देना चाहिए। धन न हो तो सुपारी का दान करें।

षटतिला एकादशी व्रत के लाभ:

षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्‍यक्ति को आरोग्‍य की प्राप्ति होती है। आयु में वृद्धि होती है। नेत्र के विकार दूर होते हैं। भगवान विष्‍णु और लक्ष्‍मी माता प्रसन्‍न होकर धन संपदा में वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। तो महिलाएं यह व्रत करती हैं, उन्‍हें अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। जोड़े से यह व्रत करने से दांपत्‍य जीवन सुखी होता है। इस दिन तिल से भरा कलश दान करने से आपके भंडार भरे रहते हैं।

जो लोग एकादशी व्रत नहीं कर पाते हैं, उन्हें एकादशी के दिन खान-पान एवं व्यवहार में सात्विक रहना चाहिए। एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा आदि नहीं खाएं।

माघ माह में मनुष्य को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखते हुए क्रोध, अहंकार, काम, लोभ और चुगली आदि  आदि का त्याग करना चाहिए।

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