Sunderkand – शुभ अवसरों पर क्यों होता है सुंदर कांड का पाठ..?

सुंदरकांड  में  जीवन की सफलता  के  महत्वपूर्ण  सूत्र   भी  दिए गए  हैं।

 

सुंदरकांड के बारे में सभी ने सुना होगा। बहुत से लोगों ने इसे पढ़ा भी होगा लेकिन हम आपको सुंदरकांड के बारे में पांच ऐसी बातें बता रहे हैं जिनके बारे में शायद आपको भी बहुत जानकारी न हो।

Sunderkand

1. क्यों है सुंदरकांड का ये नाम :

हनुमानजी,  सीताजी  की  खोज  में  लंका  गए  थे और  लंका  त्रिकुटाचल  पर्वत  पर  बसी  हुई  थी ! त्रिकुटाचल  पर्वत  यानी  यहां  3 पर्वत  थे। पहला  सुबैल पर्वत, जहां  के  मैदान  में  युद्ध  हुआ  था।
दूसरा नील  पर्वत, जहां  राक्षसों  के  महल  बसे  थे और तीसरे पर्वत  का  नाम था सुंदर  पर्वत, जहां अशोक  वाटिका बनाई गई थी। इसी  वाटिका  में  हनुमानजी  और  सीताजी  की  भेंट  हुई  थी !
इस  काण्ड  की  यही  सबसे  प्रमुख  घटना  थी , इसलिए  इसका  नाम  सुंदरकाणड  रखा  गया।

2. क्यों होता है शुभ अवसरों पर सुंदर कांड का पाठ :

शुभ  अवसरों  पर  गोस्वामी  तुलसीदासजी  द्वारा  रचित  श्रीरामचरितमानस  के सुंदरकांड  का  पाठ  किया  जाता  हैं। शुभ  कार्यों  की  शुरुआत  सें  पहले सुंदरकांड  का पाठ  करने  का  विशेष  महत्व   माना  गया  है।
जबकि  किसी  व्यक्ति के जीवन  में ज्यादा  परेशानीयां हों, कोई  काम  नहीं  बन  पा  रहा  हैं,  आत्मविश्वास  की  कमी  हो  या  कोई  और  समस्या  हो तो सुंदरकांड के पाठ  से शुभ  फल  प्राप्त  होने लगते हैं। कई  ज्योतिषी और संत भी विपरीत  परिस्थितियों  में  सुंदरकांड करने की सीख देते हैं।

3. विशेष क्यों है सुंदरकांड का पाठ :

माना  जाता  हैं  कि  सुंदरकांड के  पाठ  से  हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
सुंदरकांड  के  पाठ  में  बजरंगबली  की  कृपा  बहुत  ही  जल्द  प्राप्त हो  जाती  हैं।
जो  लोग  नियमित  रूप  से सुंदरकाणड  का  पाठ  करते  हैं,  उनके  सभी  दुख दूर हो  जाते हैं। इस  कांड में  हनुमानजी  ने  अपनी  बुद्धि  और  बल  से  सीता  की  खोज  की  हैं।
इसी वजह  से सुंदरकांड को हनुमानजी  की  सफलता  के  लिए  याद  किया  जाता  हैं।

4. क्या मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ :

श्रीरामचरितमानस  कें  सुंदरकाणड  की  कथा  सबसे  अलग  हैं। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस  भगवान श्रीराम के गुणों और  उनके पुरुषार्थ  को  दर्शाती  हैं। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा  अध्याय  हैं  जो  श्रीराम के भक्त  हनुमान  की  विजय  का  काण्ड  हैं। मनोवैज्ञानिक  नजरिए  से देखा  जाए  तो  यह आत्मविश्वास  और  इच्छाशक्ति बढ़ाने  वाला  कांड हैं, सुंदरकांड के पाठ  से व्यक्ति  को मानसिक  शक्ति  प्राप्त  होती  हैं, किसी  भी  कार्य  को  पूरा करने के लिए आत्मविश्वास मिलता  है।

5. क्या है सुंदरकांड का धार्मिक लाभ :

सुंदरकांड का पाठ सभी  मनोकामनाओं  को पूरा करने वाला माना गया है। बजरंगबली बहुत  जल्द प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। शास्त्रों  में इनकी कृपा  पाने के  कई  उपाय  बताए गए हैं। इन्हीं  उपायों  में  से एक उपाय  सुंदरकांड का  पाठ  करना भी है। सुंदरकांड के पाठ से  हनुमानजी के साथ  ही  श्रीराम  की  भी  विशेष कृपा  प्राप्त  होती  हैं। किसी  भी  प्रकार  की  परेशानी  हो, सुंदरकाणड  कें  पाठ  सें दूर  हो  जाती  हैं। यह एक श्रेष्ठ  और  सरल  उपाय  है।

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