दोस्तों कई बार ऐसा होता है कि हम खुद ही अपनी happiness या success के मार्ग में रोड़ा बन जाते हैं. और कई मामलों में तो हमें इस बात का पता भी नहीं होता. बार-बार मन में एक ही या कई नकारात्मक विचारों का आना एक ऐसा ही रोड़ा है.
For Example: यदि आपके मन में विचार आता है कि ,” मैं भद्दा दीखता हूँ”, या ,”मेरा पति मुझसे प्यार नहीं करता.”, या “मुझे अंग्रेजी नहीं आती.”, या ,” मेरा IQ कम है” इत्यादि , तो कहीं ना कहीं ये आपके personal development में hurdle बन रहे हैं.
आज AchhiKhabar.Com पर हम ऐसे ही विचारों से निजात पाने के एक बहुत ही effective process के बारे में जानेंगे. इसके बारे में मैंने Steve Pavlina के article How to Squash Negative Thought Patterns में पढ़ा था,और यहाँ पर मैं आपके साथ उसी का Hindi translation share कर रहा हूँ.
Suppose करिए कि आपकी बार-बार एक ही negative thought को सोचने की बुरी आदत है. और suppose करिए कि असल दुनिया में उस सोच की कोई अभिव्यक्ति नहीं है. वो बस एक नकारात्मक सोच है , जैसे ” मैं बहुत depressed हूँ” या ” मुझे अपनी नौकरी से नफरत है” या ” मैं ये नहीं कर सकता” या “मुझे अपने मोटापे से नफरत है.” आप किसी बुरी आदत से कैसे छुटकारा पायेंगे जब वो पूरी तरह से आपके दिमाग में हो ?
असल में negative thought pattern को बदलने के बहुत सारे तरीके हैं. Basic idea ये है कि पुराने thought pattern को नए से replace कर दिया जाए. मानसिक रूप से नकारात्मक सोच का विरोध करना उल्टा पड़ सकता है- आप इसे और मजबूत करते जायेंगे और स्थिति बदतर हो जाएगी. आप जितना अपने neurons को उसी दिशा में fire करेंगे, आपकी नकारात्मक सोच उतनी ही शशक्त होती जायेगी.
यहाँ एक तरीका है जो मैं अपने negative thought patterns को break करने के लिए use करता हूँ. ये basically एक memory technique जिसे ‘chaining’ कहते हैं से मिला जुला कर बना है. ये तरीका मेरे लिए बहुत सही काम करता है.
Negative Thought pattern का विरोध करने का प्रयास करने की बजाये आप इसकी दिशा बदल दीजिये. इसे आप एक mental kung fu की तरह से समझिये. नकारात्मक सोच की उर्जा को लीजिये और उसे सकारात्मक सोच की तरफ मोड़ दीजिये. थोड़ी सी mental conditioning के साथ जब भी आपके दिमाग में negative thought आएगी , आपका दिमाग खुद बखुद positive thought की तरफ divert हो जाएगा. ये Pavlov’s dogs की तरह है जो घंटी बजने पर लार टपकाना सीख जाते हैं.
ये ऐसे काम करता है:
मान लीजये आपकी negative thought एक subvocalization है, मतलब आपको अन्दर से एक आवाज़ सुनाई देती है जिसे आप बदलना चाहते हैं , जैसे कि, ” मैं idiot हूँ”. अगर आपकी negative thought एक आवाज़ होने की बजाये एक mental image (कोई चित्र जो दिमाग में आता हो) या kinesthetic ( कोई अन्दर होने वाला एहसास
) हो तो भी आप इस process को use कर सकते हैं. कई मामलों में आपका विचार इन तीनों का combination भी हो सकता है.
Step 1: अपनी negative thought को एक mental image में बदल लें.
उस आवाज को सुनिए और दिमाग में उसकी एक तस्वीर बना लीजिये.For Example, यदि आपकी सोच है कि , “मैं idiot हूँ”, तो कल्पना कीजिये कि आप मूर्खतापूर्ण कपडे पहने और जोकरों वाली टोपी लगाकर इधर उधर कूद रहे हैं. आपके चारो तरफ लोग खड़े हैं जो आपकी तरफ ऊँगली दिखा रहे हैं और आप चिल्ला रहे हैं, “मैं idiot हूँ” आप इस scene को जितना बढ़ा चढ़ा कर देखेंगे उतना बेहतर है . चटक रंगों, खूब सारे animation,यहाँ तक कि आप कुछ sex से भी सम्बंधित सोच सकते हैं यदि ये आपको याद रखने में मदद करे. इस scene को बार-बार तब तक practice करते रहिये जब तक महज वो negative line सोचने भर से आपके दिमाग में आपकी कल्पना की हुई negative mental image ना आने लगे.
यदि आपको उस विचार का चित्रण करने में दिक्कत हो तो आप उसे एक आवाज़ का भी रूप दे सकते हैं. अपनी negative thought को एक आवाज़ में बदल लें , जैसे कि कोई धुन जिसे आप गुनगुनाते हों. इस प्रोसेस follow करने में को चाहे एक sound की कल्पना करें या किसी चित्र की , दोनों ही तरह से ये काम करेगा. वैसे मैं किसी चित्र के बारे में कल्पना करना prefer करता हूँ.
Step 2: उस negative thought को replace करने के लिए कोई powerful positive thought चुनें.
अब decide करिए की negative thought को replace करने के लिए आप कौन सी positive thought चुनेंगे. जैसे कि यदि आप ये सोचते रहते हैं कि, ” मैं idiot हूँ,” तो शायद आप उसे , “मैं brilliant हूँ.” से replace करना चाहेंगे. कोई ऐसी सोच चुनिए जो आपको कुछ इस तरह से शशक्त बनाए कि आप उस negative thought के असर को कमजोर बना पाए.
Step 3: अब अपनी positive thought को एक mental image में बदल लें
एक बार फिर से Step 1 की तरह ही अपनी positive thought के लिए एक mental image बना लें. जैसे कि उदाहरण में ली गयी सोच “में brilliant हूँ” के लिए आप खुद को Superman की तरह दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ा हुआ होने की कल्पना कर सकते हैं.और आप सोच सकते हैं कि ठीक आपके सर के ऊपर एक bulb जल रहा है. Bulb बहुत तेज रौशनी के साथ जगमगा रहा है, और आप जोर से चीख रहे हैं, ” मैं bbbbrrrrrillllliannnnttt हूँ !”. इसकी practice तब तक करते रहिये जब तक महज वो positive line सोचने भर से आपके दिमाग में आपकी कल्पना की हुई positive mental image ना आने लगे.
Step 4: अब दोनों mental images को एक साथ जोड़ दीजिये.
आपने Step 1 और Step 3 में जो mental image सोची है , दोनों को अपने दिमाग में चिपका दीजिये. ये trick chaining नामक memory technique में प्रयोग होती है. इसमें आप पहले चित्र को दुसरे में परिवर्तित कर देते हैं. मेरा सुझाव है कि आप इस एक animated movie की तरह करिए. इसमें आपको पहला (negative picture) और आखिरी (positive picture) scene का अंदाजा है, बस आपको बीच में एक छोटा सा एनीमेशन भरना है.
For example, पहले scene में आपके idiot version पर कोई एक light bulb फेंकता है.और आप उस बल्ब को कैच कर लेते हैं और आपके पकड़ते ही वो बल्ब बड़ा होने लगता है और उससे इतनी तेज रौशनी निकलती है कि आपको घेरे हुए लोग चौंधिया जाते हैं. तब आप अपने मूर्खतापूर्ण कपड़ों को फाड़ कर फेंक देते हैं और चमचमाते सफ़ेद लिबास में प्रकट होते हैं. आप Superman की तरह पूरे आत्मविश्वास के साथ खड़े होकर जोर से चिल्लाते हैं, ” ” मैं bbbbrrrrrillllliannnnttt हूँ !”और फिर वो लोग अपने घुटनों के बल बैठ जाते हैं और आपकी पूजा करने लगते हैं. एक बार फिर , आप इसे जितना बढ़ा-चढ़ा कर सोचेंगे उतना अच्छा होगा. बढ़ा-चढ़ा कर सोचना आपको scene को याद रखें में मदद करेगा क्योंकि हमारा दिमाग unusual चीजों को याद रखने के लिए designed होता है.
एक बार जब आप पूरा scene complete कर लें तो फिर बाद-बाद इसे अपने दिमाग में दोहरायें ताकि speed आ जाये. इस scene को शुरू से अंत तक तब तक imagine करते रहिये जब तक कि आप पूरा का पूरा scene 2 मिनट में complete नहीं कर लेते, ideally 1 मिनट में. ये बिजली की तेजी से होना चाहिए, वास्तविक दुनिया से कहीं तेज.
Step 5: Test.
अब आपको अपने mental redirect को टेस्ट करना है कि ये काम कर रहा है कि नहीं. ये बहुत हद्द तक HTML redirect की तरह है – जब आप पुराना negative URL input करते हैं, तब आपका दिमाग उसे automatically positive की तरफ redirect कर देता है.Negative thought के दिमाग में आते ही तुरन्त positive thought आपके दिमाग में आ जानी चाहिए. अगर आपने ये सही से practice किया है तो ये automatically होने लगेगा. Negative thought दिमाग में आते ही पूरा का पूरा scene आपके दिमाग में घूम जायेगा. इसलिए आप जब भी ये सोचेंगे कि , ” मैं idiot हूँ “, भले आप पूरी तरह से aware ना हो कि आप ऐसा सोच रहे हैं, आप अंत में खुद को ये सोचता हुआ पायेंगे कि, “मैं brilliant हूँ”
अगर आपने पहले ऐसा visualization नहीं किया है तो आपको ये सब करने में कुछ समय लगेगा. Speed practice के साथ आएगी. एक बार अभ्यास हो जाने के बाद सारी चीजें सेकेंडों में हो जाएँगी. पहली बार करने में चीजें धीमी गति से होंगी,इससे discourage मत होइए . किसी भी और skill की तरह इसे भी learn किया जा सकता है,और शायद पहली बार सीखने में ये आपको ये कुछ अटपटा लगे.
मेरा सुझाव है कि आप अलग-अलग तरह की कल्पना के साथ experiment करिए. आपको कुछ कल्पनाएँ बाकियों से सही लगेंगी. Association Vs. Dissociation पर ख़ास ध्यान दीजिये. जब आप किसी scene से associated होंगे तो आप उसे अपनी आँखों से घटता हुआ देखेंगे( i.e. first person perspective). जब आप dissociated होंगे तो आप उस scene में खुद को देखने की कल्पना करेंगे ( i.e. third person perspective). आम तौर पर मुझे best results खुद को dissociate करने पर मिलते हैं. आपके results अलग हो सकते हैं.
मैंने 1990s की शुरआत में इस तरह की काफी mental conditioning की है. जब भी मुझे इस तरह की कोई नकारात्मक सोच परेशान करती थी तो मैं उसे चुनता था और उसकी दिशा बदल देता था.कुछ ही दिनों में मैंने दर्जनों negative thought patterns को reprogram कर दिया था, और कुछ ही दिनों में मेरे दिमाग के लिए negative thought या emotion produce करना भी कठिन हो गया. ऐसी कोई भी सोच positive सोच की तरफ redirect हो जातीं.शायद कुछ हद तक इसीलिए मैं college से निकलने के तुरंत बाद अपन business start करने में पूरा confident था.मैं mental conditioning के माध्यम से अपनी self-doubt सम्बंधित thoughts को can-do mindset में बदल देता था. कालेज के दिनों में मैंने इसका खूब प्रयोग किया और शायद इसी वजह से मैंने औरों से जल्दी graduate हो पाया.इसके बावजूद मुझे कई real-world challenges को face करना पड़ा, पर कम से कम मैं उस समय खुद के self-doubt से नहीं लड़ रहा था.
इस तरह की mental conditioning ने मुझे अपने अंदरुनी मामलों को control करने में काफी सहायता की.आज मैं ये इतना भली-भांति कर लेता हूँ कि बिना इसके बारे में सोचे ही ये automatically होता रहता है. किसी point पर मेरे subconscious ने इसका कंट्रोल ले लिया; इसलिए जब कभी मेरे मन कोई ऐसा विचार आता है कि , “I can’t” तो वो स्वतः ही ,”How can I?” में परिवर्तित हो जाता है. दरअसल जब आप mental conditioning को बहुत ज्यादा practice कर लेते हैं तो यही होता है- आपका subconscious कंट्रोल ले लेता है;ठेक विअसे ही जैसे कि साइकिल चलाने की practice के बाद हो जाता है.
अब जब कभी आपको लगे कि कोई negative thought आपके दिमाग में घर कर रही हो तो इसे try कीजिये. मेरे विचार है कि आप इसे काफी सशक्त बनाने वाला पाएंगे. और जिन्हें इससे फायदा पहुँच सकता है उनके साथ जरूर share करिए.
Note : This article was originally published on AchhiKhabar.
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