नाम किसी मनुष्य की भौतिक पहचान के साथ-साथ उसके आंतरिक गुणों और व्यवहार आदि का भी वर्णन करता है।
आपके नाम के पीछे छिपे हैं कई राज:
हिन्दू धर्म में नाम रखते समय ग्रहों आदि की चाल का विशेष ख्याल रखा जाता है, ताकि जातक का नाम उसके स्वभाव व भविष्य के अनुकूल हो। इन सभी बातों के साथ नाम रखते हुए इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि बच्चे के नाम का अर्थ कुछ अटपटा ना हो।
नाम रखते हुए माता-पिता इस बात पर भी विशेष जोर देते हैं कि नाम का शुभ हो और वह उसके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करे।
नाम और व्यवहार:
हिन्दू धर्म के सिद्धांतों पर किये जा रहे शोधों से यह निष्कर्ष निकलता है कि नाम का हमारे व्यवहार से विशेष संबंध होता है। राम, रहीम, मोहन, आदि नाम वाले जातक आमतौर बेहद शांत स्वभाव वाले देखने को मिलते हैं। दूसरी तरफ कृष्ण, भोले, कन्हैया, आदि नाम के जातक चुलबुली और शरारती प्रवृत्ति देखने को मिलती है।
नाम और भविष्यफल:
नाम न सिर्फ हमारे व्यक्तित्व के विषय में जानकारी देता है बल्कि यह हमारे भविष्य का भी आइना होता है। अगर किसी जातक को अपना जन्म समय नहीं पता तो वह नाम के शुरुआती अक्षरों द्वारा अपना भविष्यफल जान सकता है। नाम से राशि जानने की पद्धति बेहद प्राचीन और सटीक मानी जाती है।
नामकरण संस्कार:
नाम न सिर्फ हमारी पहचान बताता है, बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व, स्वभाव, बर्ताव और भविष्य पर भी प्रभाव डालता है। नाम के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हिन्दू धर्म में नामकरण संस्कार की व्यवस्था की गई है।नामकरण संस्कार हिन्दू धर्म का एक अहम संस्कार हैं। पाराशर स्मृति के अनुसार, नामकरण संस्कार जातक के सूतक व्यतीत होने के बाद करना चाहिए। नामकरण के विषय में कई वेदों-पुराणों में भी वर्णन है।
भविष्यपुराण के अनुसार, लड़कों का नाम रखते समय कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए जैसे:
* ब्राह्मण वर्ग के बालक का नाम मंगलवाचक होना चाहिए।
* क्षत्रिय वर्ग में बालक का नाम बलवाचक होना चाहिए।
* वैश्य वर्ग में बालक का नाम धनवर्धन होना चाहिए।
* शूद्र वर्ग में बालक का नाम यथाविधि देवदासादि नाम होना चाहिए।
इसी प्रकार, लड़कियों के नाम रखते हुए निम्न बातों का ख्याल रखना चाहिए:
* लड़कियों का नाम मंगलसूचक होना चाहिए।
* ऐसा नाम नही रखना चाहिए जिसका अर्थ ना निकलता हो या जिसके उच्चारण से कष्ट हो।
* ऐसे नाम भी नहीं रखने चाहिए जिनसे क्रूरता या युद्ध आदि का भाव आए।
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