Why Pandavas had to eat the Flesh of His Father:
क्या आप जानते है कि पांडू पुत्रों ने अपने ही पिता का मांस खाया था लेकिन उन्हें ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी.? महाभारत से जुडी यह घटना उस समय की है, जब पांचो पांडवो के पिता पांडु की मृत्यु हुई और अपने पिता पांडू के शरीर का मांस पांडवो ने खाया।
इस बात को जानने के लिए हमें पांडु के जीवित होने के समय में जाना होगा। इसके अनुसार पांच पांडव युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। इनमे से युधिष्ठर, भीम और अर्जुन की माता कुंती थी और नकुल और सहदेव की माता माद्री थी।
पांडु इन पांचों पुत्रों के पिता तो थे लेकिन इनका जन्म पांडु के वीर्य तथा मातओं के गर्भ से नही हुआ था, क्योंकि पांडु को किसी ऋषि ने श्राप दिया था कि अगर वो किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।
जिसके कारण उन्होनें कभी भी कुंती और माद्री से शारिरीक संबंध नही बनाए थे। इसी कारण पांडु के निवेदन पर पांडवों की दोनों माताओं, माता कुंती और माद्री ने भगवान का आहवान करके प्राप्त किए थे।
जब पाण्डु की मृत्यु हुई तो उसके मृत शरीर का मांस पांचों भाइयों ने मिल कर खाया था। इसके पीछें का कारण, पांडू की अपनी ही इच्छा का होना था। दरअसल, पांडु खुद चाहते थे कि उनके पुत्र उनका मांस खाएं, क्योंकि पाण्डव पुत्र, पांडू के वीर्ये से पैदा नहीं हुए थे। जिस कारण पांडु का ज्ञान, कौशल उसके पुत्रों में नहीं जा पाया था। इसी कारण से पांडू ने अपनी मृत्यु से पूर्व ऐसा वरदान मांगा था कि उसके बच्चे उसकी मृत्यु के पश्चात उसके शरीर का मांस मिल बांट कर खाएं जिससे उसका ज्ञान बच्चों में स्थानांतरित हो जाए।
पांडवो द्वारा पिता का मांस खाने के विषय में दो मान्यता प्रचलित है।
पहली मान्यता के अनुसार, पांचो भाइयों ने अपने पिता पांडू का मांस मिल बांट कर खाया था, लेकिन सबसे ज्यादा मांस सहदेव ने खाया था।
जबकि दूसरी मान्यता के अनुसार, सिर्फ सहदेव ने पिता की इच्छा का पालन करते हुए उनके मस्तिष्क के तीन हिस्से खाए। पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने पर वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही भविष्य का ज्ञान हो गया। यही कारण था कि सहदेव अपने सभी भाइयों में सबसे अधिक ज्ञानी था। साथ ही भविष्य में होने वाली घटनाओं को भी देख लेने की शक्ति मिल गई थी।
भविष्य में होने वाली घटनाओं को भी देख लेने की शक्ति के कारण सहदेव ने महाभारत का युद्ध देख लिया था। श्री कृष्ण को डर था कि सहदेव किसी और से यह राज न बता दें। इसलिए श्री कृष्ण ने सहदेव को यह श्राप दे दिया कि अगर वह किसी से यह बात बोलेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसी कारण उसने किसी को यह बात नही बताई थी।
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