बुद्धिमान केकड़ा और मासूम चिड़िया की कहानी:
नदी किनारे फैले, एक घने जंगल में बरगद के अलग – अलग दो विशालकाय पेड़ थे और यह आपस में इतने करीब थे, कि देखने में दोनों एक ही पेड़ के दो भाग लगते थे।
इन दोनों बरगद के पेड़ों पर कई चिड़ियोँ का घोंसला था और उसी बरगद पेड़ में एक गहरा कोटर भी था, जहाँ पर एक काला भयंकर सांप रहता था।
जब भी चिड़ियाएं भोजन की खोज में अपने घोसलों से निकलती, तब वह सांप समय पाकर उस कोटर से निकलता और पेड़ पर चढकर, किसी भी घोसले में से अंडे और चिड़ियों के बच्चों को खा जाता।
साँप ऐसा हर दिन करता और कोठर में वापस लौट जाता था। शाम को जब सभी चिड़ियाँ अपने घोंसलों में वापस लौटती तो उन्हें कोई न कोई घोंसला जरूर खाली मिलता था। सभी चिड़ियाँ चुप चाप रो कर रह जाती, बेचारी सभी चिड़ियाँ उस सांप से चाहकर भी छुटकारा नहीं पा सकती थीं।
एक दिन नदी के किनारे बैठी कुछ चिड़ियाएं, अपनी इस असहाय पीड़ादायक दशा पर आंसू बहा रही थी, और उस साँप से बचने के लिए कोई तरीका ढूंढने को लेकर बात कर रही थी। तभी उस नदी में रहने वाला एक केकड़ा, जो बहुत ही चालक और बुद्धिमान था, उनकी बातें सुनकर नदी से बहार निकला और चिड़ियोँ से उनके रोने का कारण पूछा।
चिड़ियाओं ने उस केकड़ें को रोते – रोते अपनी परेशानी बता दी और कहा कि, कमजोर और छोटे होने के कारण, वह सभी स्वंय उस काले सांप से छुटकारा पाने मे असमर्थ हैं।
यह सुनकर केकड़ा मन ही मन सोचने लगा कि, “यह चिड़ियाएं भी तो हम केकड़ों की दुश्मन ही हैं, यह भी तो हमारे बच्चों को खा जाती हैं, तो क्यों न चिड़ियाओं को कोई ऐसा उपाय बताए कि जिससे सांप भी मर जाए और इन सभी चिड़ियोँ से भी छुटकारा मिल जाएं।”
फ़िर केकड़े ने अपनी बुद्धि लगाई और बोला, “तुम सभी रोओ मत, मैं तुम्हे एक उपाय बता रहा हूँ, जिसकी सहायता से वह दुष्ट सांप मारा जाएगा और तुम्हारें अंडे के साथ ही बच्चे भी बच जायेंगें।”
फ़िर केकड़े ने चिड़ियोँ से कहना शुरु किया, “देखो, उस बरगद के पेड़ के कुछ ही दुरी पर एक बड़ा नेवला रहता है। तुम सभी चिड़ियां, उस नेवलें के बिल से लेकर बरगद के उस कोठर तक छोटी – छोटी मछलियाँ बिखेर दो। नेवला जब उन मछलियों एक – एक खाता हुआ उस कोठर तक भी पहुच जाएगा और सांप को भी मार देगा।”
सभी चिड़ियाएं केकड़े के इस सुझाव को सुनकर बहुत खुश हो गई और उन्होने केकड़े के बताए उपाय पर उस बरगद के कोठर तक छोटी-छोटी मछलियाँ बिखेर दिया। मछलियों के गंध को पाकर, कुछ देर बाद नेवला अपने बिल से बाहर निकला और मछलियां खाता हुआ, बरगद के पेड़ मे बने कोठर तक जा पहुँचा।
सांप और नेवले के बीच लड़ाई हुई और नेवले ने कुछ ही देर में सांप को काट कर मार डाला। लेकिन, वह सांप को मारने के बाद अपने बिल में नही लौटा और पेड़ पर चढ़कर चिड़ियोँ के बच्चों को खाना शुरु कर दिया। अब नेवला हर रोज चिड़ियोँ के बच्चों को अपना निवाला बनाता।
रोज़ आसानी से नेवले को खाना मिल जाने के कारण वह बहुत मोटा और आलसी हो गया। एक दिन जब वह पेड़ की डाल पर चिड़ियोँ के बच्चों को खाने के लिए चढ़ रहा था, तो फिसल कर नीचे जा गिरा और मर गया।
इस प्रकार उस केकड़े ने नेवले की मदद से चिड़ियाओं की समस्या दूर करने के, साथ ही चिड़ियोँ से होने वाले स्वंय के प्रति संभावित खतरे को भी कुछ समय तक टाल दिया था।
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सीख: हमें कभी भी अपने किसी भी दुश्मन की सलाह पर काम करने से पहले उसके लाभ और हानि के बारे में ज़रूर सोचना चाहिए, क्यूंकि दुश्मन की सलाह हमारे लिए कही न कहीं नुकसानदायक ही सिद्ध होती है।
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