कठिन परिस्थिति में भी हमें अपनी अच्छाई नहीं छोड़नी चाहिए!

Inspirational Stories In Hindi

हमारे जीवन में कई बार ऐसा मौका आता है, जिसमे सही और गलत के मायने बदल जाते है, हम गलत निर्णय ले लेते है या फिर गलत कर बैठते है। जब हम कुछ ग़लत कर बैठते फिर हम पछताते है। यही से हमें अपनी अच्छाई कठिन परिस्थिति में भी कभी नहीं छोड़नी चाहिए।

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एक दिन एक संत नदी में स्नान कर रहे थे। उनके अनुयायी नदी किनारे संत के कपड़ों और दूसरी चीजों की निगरानी कर रहे थे। जब संत नदी में से बाहर निकल रहें थे, तो अचानक संत को नदी में पानी से किनारे पर जाने के लिए संघर्ष करता हुआ एक बिच्छू दिखाई दिया। संत ने बिना कुछ सोचे उसे बचाने के लिए अपनी हथेली पर ले लिया और किनार तक पहुंचाने लगे।Inspirational stories in Hindi

देखते ही देखते बिच्छू ने साधु को डंक मार दिया। संत के हाथों में बहुत तेज दर्द होने लगा लेकिन फिर भी उन्होंने बिच्छू को नहीं छोड़ा और उसे किनारे तक पहुंचाने की कोशिश करने लगे।

यह देखते ही किनार पर खड़ें साधु के अनुयायी सतर्क हो गए लेकिन साधु ने उन्हें कुछ भी करने से मना कर दिया। साधु अभी किनारे से कुछ ही दूरी पर थे कि उनके हाथ में दर्द और बढ़ गया। इस समय उनके अनुयायी बोलने लगे, प्रभु बिच्छू को फेंक दीजिए, वह आपको दोबारा डंक मार देगा।

साधु ने उनकी बातों पर ध्यान न देते हुए बिच्छू को सुरक्षित किनारे पहुंचा दिया और साधु बेहोश हो गए। इसके बाद साधु के अनुयायी उन्हें वैध के पास ले गए और उनका इलाज कराया। जब संत को होश आया, तब उनके शिष्यों ने बिच्छू को हतेली से नहीं फेकने का कारण पूछा।

तब इस पर संत ने कहा कि मुझे पता है कि बिच्छू के डंक मारने से मैं मर सकता था क्योंकि वो अपनी प्रकृति के हिसाब से डंक मार रहा था। यह उसकी प्रकृति थी लेकिन एक साधु की प्रकृति तो जिंदगी को बचाना है और मैंने वही किया।

फिर अपने शिष्यों से कहा कि “कठिन से कठिन परिस्थिति में भी हमें अपनी अच्छाई नहीं छोड़नी चाहिए”।

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